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कैसे होली वृंदावन की विधवाओं के जीवन में रंग लाती है

  गरीबी और परंपराओं में बंधी, वृंदावन शहर में हजारों हिंदू विधवाएँ संयमित जीवन जीती हैं। फिर भी, होली का त्यौहार उन्हें कुछ क्षणों के लिए रंग और खुशी का अनुभव कराता है, जो उनके कठिन जीवन से एक पल का पलायन प्रदान करता है। वृंदावन, जिसे भगवान श्री कृष्ण के बचपन से जोड़ा जाता है, लंबे समय से विधवा हिंदू महिलाओं के लिए एक शरण स्थल रहा है। हिंदू समाज में विधवापन अक्सर कलंकित माना जाता है, और विधवाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे संयमित जीवन जीएं और शुभ अवसरों में भाग न लें। उन्हें परिवार की आर्थिक स्थिति पर बोझ माना जाता है, जिसके कारण कई विधवाएँ वृंदावन जैसे पवित्र स्थलों पर आ जाती हैं, जहां वे राज्य, एनजीओ, मंदिरों और आश्रमों से दी जाने वाली दान राशि पर जीवित रहती हैं। हालांकि, होली के दौरान इन महिलाओं को एक अस्थायी रूप से परंपरा से मुक्त होने और उत्सव का आनंद लेने का अवसर मिलता है, जिससे उनके otherwise कठिन जीवन में रंग और खुशी का एक दुर्लभ पल आता है।

हत्या से लेकर शव ठिकाने लगाने तक: दोपहर 12 बजे विवाद, शाम 5 बजे कत्ल; सिलसिलेवार ढंग से समझें हिमानी हत्याकांड माई सिटी रिपोर्टर, रोहतक

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पुलिस अधिकारियों के अनुसार, हिमानी नरवाल की हत्या ब्लाइंड मर्डर केस थी। शुरुआत में परिवार वालों की ओर से कोई संदेह नहीं जताया गया, लेकिन पुलिस ने मामले की गहराई से जांच शुरू की। पुलिस ने हिमानी के मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लिया, और उसकी लोकेशन सचिन के मोबाइल के साथ मिली। यह जानकारी हत्या के मामले की दिशा बदलने वाली साबित हुई।

कांग्रेस कार्यकर्ता हिमानी नरवाल और सचिन के बीच गहरी दोस्ती थी, और सचिन का दिन-रात हिमानी के घर आना-जाना था। जब उसे अपने घर नहीं जाना होता था, तो वह हिमानी के घर पर ही ठहरा करता था। हालांकि, इस दोस्ती के बारे में हिमानी के परिजनों को भी जानकारी थी।

यह सिलसिला और घटनाक्रम हत्या के बाद सामने आया, और इसके आधार पर पुलिस ने जांच में तेजी दिखाई। हिमानी की हत्या का सिलसिलादोपहर 12 बजे हुए विवाद से शुरू हुआ और शाम 5 बजे तक एक हत्या में बदल गया। पुलिस अब सचिन को संदिग्ध मानते हुए मामले की जांच कर रही है।

पूरे मामले में जांच का प्रमुख बिंदु यह है कि परिवार और पुलिस दोनों को कैसे शुरुआत में हत्या का संदिग्ध पहलू नजर नहीं आया, और कैसे मोबाइल लोकेशन ने मामले की परतें खोलीं।

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